नई दिल्ली: डाक्टरों की सुरक्षा को लेकर बुधवार को राज्यों के मुख्य सचिव और DGP के साथ बैठक होगी. सभी राज्य बताएंगे कि अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर क्या सुरक्षा उपाय कर रहे हैं. डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर बुधवार को कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में हाई लेवल बैठक होगी राज्यों के चीफ सेक्रेटरी और डीजीपी भी इसमें शामिल होंगे. इसके लिए एक नेशनल टास्क फॉर्स का गठन किया गया था. नेशनल टास्क फोर्स में अभी तक लगभग 400 सुझाव मिले हैं. ऑनलाइन सुझाव के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री की तरफ से एक पोर्टल तैयार किया गया है. सभी राज्यों को एक गूगल फॉर्म दिया गया है जिसमे वो सुरक्षा संबंधी प्रावधान बताएंगे. नेशनल टास्क फोर्स की पहली बैठक के बाद कल यानी बुधवार को एक हाई लेवल की बैठक होगी
हाई लेवल की बैठक बुधवार को कैबिनेट सेक्रेटरी की अध्यक्षता में होगी जिसमें सभी राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुख शामिल होंगे. इस बैठक में राज्यों से वहां पर मेडिकल प्रोफेशनल्स और डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर सुझाव लिए जाएंगे और चर्चा की जाएगी.
इस बैठक का मुख्य उद्देश्य मेडिकल प्रोफेशनल्स के खिलाफ हिंसा की रोकथाम और सुरक्षित कार्य परिस्थितियां प्रदान करना है. चिकित्सा प्रतिष्ठानों में उचित सुरक्षा सुनिश्चित करना. हिंसा की संभावना के आधार पर अस्पताल के भीतर विभागों और स्थानों का परीक्षण करना. आपातकालीन कक्ष और गहन देखभाल इकाइयों जैसे क्षेत्रों में हिंसा की अधिक संभावना होती है और संभवतः किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए अतिरिक्त सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है.
किन-किन बातों पर दिया जाएगा ध्यान?
प्रत्येक प्रवेश द्वार पर एक सामान और व्यक्ति स्क्रीनिंग प्रणाली बनाने की भी कोशिश है. अस्पताल यह सुनिश्चित करेगा कि मेडिकल संस्थान के अंदर हथियार नहीं ले जाया जाए. नशे में धुत्त व्यक्तियों को चिकित्सा प्रतिष्ठान के परिसर में प्रवेश करने से रोकने के उपाय किया जाएगा. जब तक कि वे रोगी न हों. भीड़ और शोक संतप्त व्यक्तियों को प्रबंधित करने के लिए अस्पतालों में नियुक्त सुरक्षा कर्मियों को प्रशिक्षण देना.
प्रत्येक विभाग में पुरुष डॉक्टरों के लिए अलग विश्राम कक्ष और ड्यूटी रूम का प्रावधान किया जाएगा. महिला डॉक्टर, पुरुष नर्स,महिला नर्सें, और एक सामान्य विश्राम स्थान. कमरा अच्छी तरह हवादार होना चाहिए, बिस्तर के लिए पर्याप्त जगह होनी चाहिए और पीने के पानी की सुविधा होनी चाहिए. सुरक्षा उपकरणों की स्थापना के माध्यम से इन कमरों तक पहुंच प्रतिबंधित होनी चाहिए.
अस्पताल में सभी स्थानों पर और, यदि यह मेडिकल कॉलेज से जुड़ा अस्पताल है, परिसर के भीतर सभी स्थानों पर पर्याप्त रोशनी सुनिश्चित करने की भी योजन है. अस्पतालों के सभी एंट्री और एक्जिट पॉइंट और सभी रोगी कक्षों तक जाने वाले गलियारों पर सीसीटीवी कैमरों की स्थापना होनी चाहिए.
यदि चिकित्सा पेशेवरों के छात्रावास या कमरे अस्पताल से दूर हैं, तो उन लोगों के लिए रात 10 बजे से सुबह 6 बजे के बीच परिवहन का प्रावधान करने की योजना भी रहेगी. मेडिकल प्रोफेशनल्स के विरुद्ध यौन हिंसा की रोकथाम. वर्किंग प्लेस पर महिलाओं का यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम 2013 अस्पतालों और नर्सिंग होम (निजी स्वास्थ्य प्रदाताओं सहित) पर लागू होता है. अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, सभी अस्पतालों और नर्सिंग होमों में एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन किया जाना चाहिए.
प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में चिकित्सा पेशेवरों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर सुनिश्चित करना का प्रावधान भी इसके तहत होगा, यह 24 x 7 खुला होगा और आपातकालीन संकट सुविधाएं उपलब्ध होगी. मेडिकल प्रोफेशनल्स में हर मेडिकल प्रोफेशनल शामिल हैं, जिसमें डॉक्टर, मेडिकल छात्र, जो एमबीबीएस पाठ्यक्रम के एक भाग के रूप में अपनी अनिवार्य रोटेटिंग मेडिकल इंटर्नशिप (सीआरएमआई) से गुजर रहे हैं, रेजिडेंट डॉक्टर और वरिष्ठ रेजिडेंट डॉक्टर और नर्स (जिनमें नर्सिंग इंटर्न शामिल हैं) शामिल हैं.
एनटीएफ कार्य-योजना के सभी पहलुओं और किसी भी अन्य पहलू पर सिफारिशें करने के लिए स्वतंत्र होगा, जिसे सदस्य कवर करना चाहते हैं. जहां उपयुक्त हो, एनटीएफ अतिरिक्त सुझाव देने के लिए स्वतंत्र होगा।एनटीएफ सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए उचित समय सीमा भी सुझाएगा.