तृतीय विश्व युद्ध के मुहाने पर खड़ी है दुनिया
रूस वर्सेस यूक्रेन तथा इसराइल वर्सेस मुस्लिम आतंकवादी देश क्या यह विश्व के विनाश का कारण बनेंगे ??
क्या अंतर होगा द्वितीय विश्व युद्ध और तृतीय विश्व युद्ध में
द्वितीय विश्व युद्ध में तीन महान मित्र शक्तियां ग्रेट ब्रिटेन राज्य अमेरिका और सभी संघ ने ग्रेट एलाइंस बनाया था जो जीत की कुंजी थे लेकिन गठबंधन के तीनों साझेदारों के लक्ष्य सामान नहीं थे और वह हमेशा इस बात पर सहमत नहीं थे की युद्ध कैसे लड़ा जाना चाहिए।
हालांकि अमेरिका द्वारा हिरोशिमा नागासाकी पर परमाणु बम के हमले और विनाशकारी त्रासदी के साथ यह युद्ध समाप्त हुआ और उसके साथ मित्र शक्तियों में अलगाव हो गया ।
दिलचस्प तथ्य यह है कि प्रथम विश्व युद्ध 1914 से 1918 लगभग 4 वर्ष लड़ा गया द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 लगभग छ वर्ष लड़ा गया।
शीत युद्ध 1947 से 1991तक चला तब तक सोवियत संघ में परमाणु हथियारों के प्रसार के बाद अनेक देशों ने उन हथियारों की खरीदी और भंडारण प्रारंभ किया बाद में कई देश परमाणु संपन्न हो गए ।
यदि प्रथम विश्व युद्ध 4 वर्ष और द्वितीय विश्व युद्ध लगभग 6 वर्ष लड़ा गया यदि इसको आधार मैन तो तृतीय विश्व युद्ध की अवधि लगभग 8 वर्ष यह अधिक हो सकती है, 2022 से रूस यूक्रेन के मध्य जारी युद्ध के दो वर्षों को हम इस युद्ध का आरंभ माने तो लगभग 6 वर्षों तक इसकी ज्वाला विनाशकारी स्वरूप धारण कर लेगी , जो विश्व को नष्ट करने हेतु उन्मादी देशों को और भी उग्रता देगी ।
उधर यूरोप और अरब देश इजराइल फिलिस्तीन मुद्दे पर आमने-सामने नजर आते हैं !
यूं कहें कि यहूदी देश इजराइल का समर्थन अमेरिका सहित यूरोप के वह देश कर रहे हैं जो ईसाई धर्म के अनुयाई है !
फिलिस्तीन गाजा पट्टी के समर्थन में ईरान, लेबनान, सीरिया,पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देश नजर आते हैं ।
वैश्विक दृष्टिकोण से देखें तो विश्व में दो अलग अलग कैंप नजर आते हैं एक महाशक्ति अमेरिका ब्रिटेन के झंडे तले ईसाई यहूदी देश इकट्ठा दिखते हैं,वहीं दूसरी महाशक्ति रूस के साथ तीसरी महाशक्ति चीन, उत्तर कोरिया, और अन्य मुस्लिम राष्ट्र एक दूसरे को स्वार्थ पूर्ण मदद करने एक साथ नज़र आ रहे हैं। नाटो सैन्य शक्ति सामर्थ्य से निपटने हेतु इनका यह एकत्रिकरण युक्ति संगत लगता है। दुनिया दोभागों में बंटी हुई दिख रही है,यह ध्रुवीकरण स्पष्ट नजर आता है ।
एक तीसरा मोर्चा शांति वार्ता का, मध्यस्थता का, भारत के नेतृत्व में जापान,ब्राजील, दक्षिण कोरिया, अफ्रीका , आस्ट्रेलिया , न्यूजीलैंड आदि अनेक गुट निरपेक्ष देशों का समूह है जिन पर दुनिया भर की दृष्टि लगी है कि वे अपने प्रयासों से दुनिया को युद्ध की विभीषिका से बचाएं।
संयुक्त राष्ट्र संघ अपने सार्थकता को चुका है, ऐसे में अमेरिका, इजरायल, अरब देश ,यूक्रेन सभी भारत की ओर उम्मीद के साथ देख रहे हैं की दुनिया की चौथी महाशक्ति बन चुका भारत विश्व शांति कायम करवाने की पहल करें सभी उसका अनुसरण करने तैयार बैठे हैं ।
पाकिस्तान जैसे दो-तीन राष्ट्र छोड़ दे तो सारा विश्व भारत के साथ खड़ा हुआ दिखता है और इसका श्रेय निश्चय ही भारत की नई कूटनीति ,विदेश नीति को दिया जाना चाहिए ! !
इसे आरंभिक सफलता कह सकते हैं, परंतु इस नई नीति को बनाने तथा उसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ योग्य राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट का चयन और उन पर भरोसा दर्शाकर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री जयशंकर, एनएसए अजीत डोभाल को देना होगा जिन्होंने देश को मजबूत स्थिति में (उधार मांगने वाले देश से )दुनिया की प्रथम पंक्ति के मजबूत राष्ट्र में बदल दिया इसमें कोई दो राय नहीं है, इन बदलावों पर पर्दे के पीछे जो प्लानर काम कर रहे हैं,वह राष्ट्रीय सेवा संघ का नया थिंक टैंक है, जिसमें प्रत्येक क्षेत्र के विद्वानों के साथ कुछ चुनिंदा पत्रकार भी शामिल रहे हैं।
बात चल रही थी तृतीय विश्व युद्ध की तो यह सबसे भयावह होगा । इसमें परमाणु अस्त्रों का उपयोग तथा दुरुपयोग खुलकर होगा । जमीन के अलावा यह युद्ध अंतरिक्ष में भी होगा एक दूसरे के सैटेलाइट नष्ट करने की होड़ होगी, जो राष्ट्र केवल सेटेलाइट के भरोसे युद्ध लड़ेंगे उन्हें दिक्कत होगी उनके आधुनिक अस्त्र शस्त्र बेअसर साबित हो सकते हैं, हो सकता है कि इसका भी कोई विकल्प तैयार कर लिया गया हो ।
भारत पारंपरिक युद्ध में निपुण होने के साथ आधुनिक, सामरिक, तकनीकी युद्ध में भी महारत हासिल कर चुका है युद्ध में विश्व की 60% आबादी नष्ट होने का अनुमान लगाया जा रहा है और शेष आबादी जो बचेगी वो परमाणु विकिरण के शिकार होंगे । हिरोशिमा, नागासागी का दंश भूले नहीं हैं। ऐसे में युद्ध का ना होना ही विश्व के लिए हितकारी होगा न्यूज़ एक्स प्राइम विश्व से शांति की अपील करता है।
भारत भूमि, राम ,कृष्ण, महावीर, गौतम बुद्ध,गुरु नानक जैसे अवतार और महापुरषों से शांति का यही संदेश प्रसारित होता है ।
फिर भी यदि भारत पर तृतीय विश्व युद्ध की छाया पड़ी तो अनाज भंडारण, मजबूत अर्थव्यवस्था ,मजबूत सामरिक शक्ति के साथ चुनौतियों से निपटने में देश सक्षम है यह पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश की नई सरकार को याद रखना चाहिए।