Ajay Joshi Editor In Chief
ट्रुडो के बयान से भारत कनाडा तनाव चरम पर
भारत ने कनाडा से अपने राजदूत को वापस बुलाया
दोनों ने एक दूसरे के 6 राजनायिकों को देश से निकाला
नई दिल्ली. कनाडा के राष्ट्रपति ट्रुडो द्वारा भारत के उच्चायुक्त पर आतंकवादी निज्जर हत्याकांड में भूमिका होने संबंधी बयान के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है।
कल नई दिल्ली स्थित कनाडाई राजदूत को तलब कर बयान पर आधिकारिक तौर पर आपत्ति जताई गई ।
बताया जाता है कि भारत ने कनाडा में अपने राजदूत की सुरक्षा पर्याप्त नहीं होने का हवाला देकर उन्हें वापस बुला लिया है और कनाडा ने भारत के 6 राजनायिकों को देश छोड़ने को कहा, इस उच्च स्तरीय कूटनीतिक घटनाक्रम पर भारतीय प्रधानमंत्री के साथ विदेश मंत्रालय सतत संपर्क में है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्रालय को बिना हिचकिचाहट जैसे को तैसा की नीति अपनाने के लिए फ्री हैंड दिया।
भारत ने कनाडा के 6 राजनायिकों को तत्काल देश से निकलने को कह दिया। इस प्रकार यदि कूटनीति में एकदूसरे के राजनायिकों को देशनिकाला दिया जाता है तो यह माना जाता है कि दोनों ही देश परस्पर वार्तालाप और चर्चा के लिए तैयार नहीं हैं और विश्व में इसे सबसे खराब संबंधों का दौर माना जाता है।
हालांकि भारत ने कभी भी बातचीत को प्राथमिकता दी है ,परंतु विश्व की मजबूत आर्थिक, सामरिक महाशक्ति बन चुके नए भारत में दृढ़ राजनैतिक नेतृत्व और स्थिर मोदी सरकार ने अनावश्यक रूप से झुकने के स्थान पर पलटवार की नीति को अपनाया है। यह उचित प्रतीत होता है।
भारत द्वारा अपने राजनायिकों पर लगाएं गए आरोपों पर कनाडा से सबूत मांगे गए अन्यथा अनर्गल बयान देने पर स्पष्टीकरण की मांग की गई । परंतु बिना सबूत भारत विरोधी खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा देने वाले कनाडा ने तनाव को दूर करने के बजाए डिप्लोमेट को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है ।
आने वाले दिनों में भारत अपने छात्रों को वापस बुलाने और निवेशकों को कनाडा से निवेश वापिस लेने का निर्णय लेने जैसे साहसिक कदम भी उठा सकता है।
अभी अमेरिका भी रूस यूक्रेन युद्ध और इजरायल, ईरान फिलिस्तीन लेबनान जैसे देशों के आपसी युद्ध को रोकने में भारत को मददगार के रूप में देखता है ऐसे में कनाडा को सीधे समर्थन करने की स्थिति में नहीं हैं और न ही वहां की कोई सरकार बढ़ते भारत से व्यापारिक संबंधों को खराब करना चाहेगी।
हो सकता है आने वाले दिनों में कनाडा और भारत एकदूसरे के साथ व्यापारिक संबंधों को समाप्त करने हेतु कदम उठाएं, पर विश्व शांति के लिए तत्पर भारत ऐसे किसी भी कदम को उठाने से पहले कनाडा को माफी मांगने और संबंधों को बहाल करने का एक अवसर अवश्य ही देगा जैसा कि कूटनीति में अक्सर देखा जाता है।
बहरहाल जहां यह दो देशों के आपसी संबंध बिगड़ चुके हैं वहीं जो भारतीय कनाडा में बरसों से व्यापार जमा कर उनकी अर्थव्यवस्था में बड़ा सहयोग कर रहे हैं उनकी, और बड़ी संख्या में पढ़ने वाले छात्रों की सुरक्षा पर्याप्त रूप करने हेतु भारत सरकार को और भी अधिक कठोर कदम शीघ्रता से उठाने होगे । संयुक्त राष्ट्र संघ अपनी प्रासंगिकता खो चुका है और उससे कोई अपेक्षा रखना बेमानी होगा। हमें अपने निर्णय स्वयं ही लेने होंगे।