वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) के सचिव श्री एम. नागराजू ने आज नई दिल्ली में ऋण वसूली अपीलीय न्यायाधिकरणों (डीआरएटी) के अध्यक्षों और ऋण वसूली न्यायाधिकरणों (डीआरटी) के पीठासीन अधिकारियों के एक सम्मेलन की अध्यक्षता की।
इस बैठक में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारी, उप मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ), इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) और वित्त मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए।
इस बैठक के दौरान डीआरटी की कार्यप्रणाली से संबंधित सभी मुद्दों पर चर्चा की गई तथा वसूली प्रक्रिया को और अधिक कुशल बनाने हेतु इस बात पर सहमति बनी कि:
• बैंक डीआरटी में लंबित मामलों के कुशल प्रबंधन हेतु प्रभावी निगरानी और निरीक्षण तंत्र स्थापित करेंगे।
• डीआरटी में अपनाई जाने वाली कुछ वैसी सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों पर भी चर्चा की गई जिन्हें बेहतर परिणाम के लिए डीआरटी में अपनाया जा सकता है।
• वसूली को अधिकतम करने के लिए बैंकों को डीआरटी में लंबित छोटे और उच्च मूल्य के मामलों को स्पष्ट रूप से परिभाषित करने की नीति बनानी होगी।
• निपटान नीति बनाते समय, बैंकों को वसूली के लंबित मामलों को आगे बढ़ाने के क्रम में लेनदेन लागत को ध्यान में रखना होगा।
• सभी हितधारकों को लंबित मामलों को कम करने और वसूली को अधिकतम करने के लिए कारगर उपाय करने हेतु सामूहिक रूप से मिलकर काम करना होगा, जिससे लंबित मामलों में फंसी पूंजी को उत्पादक उपयोग के लिए अर्थव्यवस्था में वापस लाने में मदद मिलेगी।
• डीआरटी विनियम 2024, जिसमें पहले के डीआरटी विनियम 2015 की तुलना में कई बेहतर सुविधाएं हैं, को सभी डीआरटी द्वारा डीआरटी से जुड़ी प्रक्रिया को अधिक कारगर और कम समय लेने वाली बनाने के उद्देश्य से अपनाया जाएगा।