पीएमओ के सलाहकार की उपेक्षा मुख्यमंत्री मोहन यादव को पड़ी भारी
नाराज वरिष्ठ पत्रकार और संघ विचारक ने अनुराग जैन के नाम को बढ़ाया आगे !
मोदी,शाह , शिवराज की नई जुगलबंदी
मध्यप्रदेश सरकार के नए मुख्यसचिव के रुप में 1989 बैच के अनुराग जैन का नाम अंतिम समय तक बाकी छ नामो की सूची में अन्य लोगों की भांति सामान्य चर्चा में था । अन्य पांच नाम जिन पर प्रारंभिक चर्चा हुई थी उसमें मोहम्मद सुलेमान, विनोद कुमार, कंसोटिया, मिश्रा और राजेश राजौरा थे ।
मुख्यमंत्री ने अतिरिक्त मुख्यसचिव राजेश राजौरा को सीएम सचिवालय में पदस्थ कर संकेत दिए कि वो राजौरा की ताजपोशी करने वाले हैं। मुख्यसचिव वीरा राणा को एक और एक्सटेंशन देने की चर्चा मंत्रालय के गलियारों में गूंज रही थी, उधर सभी अपनी अपनी तिकड़म भिड़ाने में जुटे हुए थे।
सूत्रों के अनुसार जहां सुलेमान अपने पुराने आका के खास सिपेसलहारो के सहारे नागपूर दिल्ली की सेटिंग में जुटे हुए थे और आश्वस्त थे कि उनका नाम तय होकर आ ही जायेगा। उनके लोगों ने अतिआत्मविश्वास में पीएमओ और संघ के लोगों को यह संदेश प्रसारित कर दिया की सब कुछ तय हो गया है,अब कोई कुछ नहीं कर सकता। इस अतिआत्मविश्वास के चलते उनका नाम तत्काल सूची से हटा दिया गया।
विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि विनोद कुमार को एक फोन कॉल समय पर अटेंड नहीं करना भारी पड़ा । उनके आध्यात्मिक गुरु उनकी मदद करना चाहते थे,फोन न उठाने कॉल बैक न करने पर नाराज गुरु जी ने सक्षम व्यक्ति को कहा विनाश काले विपरीत बुद्धि आप इस नाम को मेरी तरफ से बाहर समझें, विनोद कुमार के अच्छे अवसर को न समझ पाने से वो चर्चा से बाहर कर दिए गए।
शेष चारों में से तीन अधिकारी कंसोटिया, मिश्रा और अनुराग जैन सामान्य शिष्टाचार भरे अनुरोध पर निर्भर थे।
कंसोटिया की व्यक्तिगत निष्ठा किसी राजनेता के प्रति अधिक है ऐसा दिल्ली के सूत्रों का कहना था, इसलिए उनके नाम पर विचार नहीं किया गया।
इन सभी अटकलों पर चर्चाएं जब शुरू हुई उसके बहुत पहले से राजेश राजौरा गृह मंत्रालय और परिवहन विभाग में अपने मोहरों को बैठाने की कवायद तेज कर चुके थे। उनके लिए लाबिंग कर रहे लोगों में भोपाल में पदस्थ पूर्व परिवहन अधिकारी भी शामिल रहें हैं जिन्होंने E 2 भोपाल के एक प्रतिष्ठित क्लब में अपने ग्वालियर छात्र जीवन के मित्र के माध्यम से उक्त संघ विचारक जो कुछ महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा चुके थे उनसे चर्चा करने गए थे तभी राजौरा के किसी व्यक्ति ने उन्हें फोन कर बताया कि साहब की सेटिंग सीधे नए मुखिया से हो गई है और भाई साहब से चर्चा मत करना।
यहीं से राजौरा की उल्टी गिनती शुरू हुई ।
उधर नए नवेले उत्साही मुख्यमंत्री मोहन यादव संघ के शिक्षा के नाम पर सेवा निवृत वरिष्ठ संघ प्रचारक और उनके विशेष अनुयायी भाजपा नेता जो व्यापम के चलते किनारे कर दिए गए थे उनके साथ मधुर संबंधों को भुनाने में लग गए और इसके चलते पीएमओ एवं आरएसएस के नजदीकी लोगों की उपेक्षा करने लगे, यहां तक कि लोकसभा चुनाव के समय भोपाल के एक निजी विश्वविद्यालय में
मोदी को वोट क्यों दूं 101 कारण पुस्तक के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि का आमंत्रण देने गए वरिष्ठ पत्रकार संघ विचारक और उनके साथ गए वरिष्ठ भाजपा नेता दोनो को मुख्य द्वार से तहसीलदार स्तर के अधिकारी ने फोन पर चर्चा कर गेट पर सिपाही को आवेदन/निमंत्रण देने का कहकर फोन बंद कर दिया। पीएमओ ने इसे मुख्यमंत्री का कुशासन और असभ्यता माना । उक्त कार्यक्रम में गुजरात से महत्त्वपूर्ण व्यक्ति और उनके साथ पीएमओ के सलाहकार आए थे और वहीं से बताया गया था कि प्रोटोकाल के तहत सीएम आयेंगे आप आमंत्रित करें। सीएम न तो स्वयं आए और न ही स्टॉफ के दुर्व्यवहार के लिए क्षमा मांगी। यह घमंड की पराकाष्ठा थी ।
वहीं विनम्र शिवराज सिंह चौहान ने संघ विचारक को चुनाव में व्यस्त होने का हवाला देते हुए दो बार फोन पर क्षमा मांगी। यहीं से केंद्र सरकार में सुशोभित होने का मार्ग प्रशस्त हुआ । राष्ट्रीय अध्यक्ष की उनकी इच्छा के बारे में तत्काल बता दिया गया था कि आपके लिए दो मंत्रालयों पर मंथन चल रहा है। अध्यक्ष अभी नहीं बदल रहें हैं, जब समय आएगा तब देखा जायेगा।
मोहन यादव मानकर चल रहे थे जो दिल्ली से संदेशों का आदान प्रदान करने में सहायता कर रहे हैं वो मुख्य सचिव भी उनके चहेते को बनवा देगें, पर चूको मत चौहान को सार्थक करते हुए मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने नाराज कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, सिंधिया के जरिए दिल्ली को संदेश दिया कि राजौरा के आने से मोहन यादव निरंकुश हो जाएंगे और भाजपा के लिए यह घातक होगा।
दुनिया की राजनीति के सबसे बड़े खिलाड़ी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जो पहले से ही मोहन यादव द्वारा उनके लोगों की उपेक्षा से नाराज थे , समझ गए फ्री हैंड का मतलब मुख्यमंत्री कुछ और समझ रहें हैं,अब इनके पर कतरने का समय आ गया है सभी बड़े नेता, मंत्री, संगठन के लोग मुख्यमंत्री की कार्य प्रणाली से नाराज हो गए हैं इन्हें अभी नहीं सम्हाला तो अगली बार जमीनी स्तर पर कोई नहीं दिखेगा। डेमेज कंट्रोल करने आनन फानन पीएमओ के सलाहकार सक्रिय हुए । पीएमओ में काम कर चुके अनुराग जैन की ईमानदार छबि और संपर्क के कारण उन्हें वरीयता दी गई। हालंकि मिश्रा की ईमानदार छबि से वो भी दौड़ में आखरी दिन तक बने हुए थे।
मुख्यमंत्री की मनमानी पर अंकुश लगाने अनुराग जैन सीएस का पदभार संभालेंगे देखना दिलचस्प होगा कि ऊपर गुजरात के अन्य महत्त्वपूर्ण नेता के भरोसे मोहन यादव आगे की कठिन डगर कैसे पार करेंगे??
कयास लगाए जा रहें हैं कि मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएंगे संघ परिवार से अन्य नाम जो पीएमओ से भी जुड़ा हुआ हो, ऐसा नया नाम पुनः सरप्राइज के रूप में सामने आ सकता है। देखते हैं सब कुछ समय के गर्भ में है अभी तो अनुराग जैन मुख्य सचिव बने हैं उनसे प्रशासनिक जमावट को नए सिरे से जमाने की उम्मीद करते हैं।